बीते दो हफ्तों में सब्जियों के दाम आसमान छूने लगे हैं। सब्जियों की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, जिससे आम आदमी का बजट बिगड़ गया है। हर साल बारिश के दिनों में सब्जियों की कीमतें बढ़ जाती हैं और इस बार भी यही स्थिति है। लेकिन इस बार कीमतों में इजाफे के पीछे उत्पादन में कमी, परिवहन की समुचित व्यवस्था का अभाव या जमाखोरी है।
सब्जियों के बढ़ते दाम: क्यों और कैसे?
उत्पादन में कमी
सब्जियों के दामों में वृद्धि का प्रमुख कारण उत्पादन में कमी है। अत्यधिक गर्मी और बारिश की वजह से फसलों को नुकसान हुआ है। इस साल कई क्षेत्रों में बेमौसम बारिश और बाढ़ ने सब्जियों के उत्पादन को प्रभावित किया है। उत्पादन में कमी का सीधा असर बाजार पर पड़ता है, जिससे सब्जियों की कीमतें बढ़ जाती हैं।
परिवहन की समस्या
परिवहन की असमर्थता भी एक महत्वपूर्ण कारण है। बारिश के मौसम में सड़कें खराब हो जाती हैं, जिससे सब्जियों को मंडियों तक पहुंचाना मुश्किल हो जाता है। परिवहन की दिक्कतों की वजह से सब्जियों की आपूर्ति में कमी आती है, जो कीमतों में वृद्धि का कारण बनती है।
जमाखोरी और मुनाफाखोरी
जमाखोरी और मुनाफाखोरी भी सब्जियों की महंगाई का एक प्रमुख कारण है। कुछ विक्रेता और बिचौलिए सब्जियों को स्टॉक में रखकर कीमतों में बढ़ोतरी करते हैं। इस जमाखोरी की वजह से बाजार में सब्जियों की उपलब्धता कम हो जाती है और कीमतें बढ़ जाती हैं।
वर्तमान सब्जियों के दाम: तुलना दो हफ्ते पहले से
सब्जी | पहले (रुपये/किलो) | अब (रुपये/किलो) |
---|---|---|
टमाटर | 30-35 | 70-80 |
आलू | 15-20 | 35-40 |
प्याज | 25-30 | 40 |
लौकी | 30 | 50 |
भिंडी | 20-25 | 60 |
करेला | 35 | 60 |
टमाटर और प्याज की समस्या
टमाटर और प्याज की कीमतों में उछाल की मुख्य वजह उत्पादन में कमी और परिवहन की समस्या है। गर्मी और बारिश की वजह से टमाटर सड़ जाते हैं, जिससे उनकी उपलब्धता कम हो जाती है। इसके अलावा, प्याज के उत्पादन में भी कमी आई है, जिससे उसकी कीमतें बढ़ी हैं।
भिंडी, लौकी और करेले की कीमतों में उछाल
भिंडी, लौकी और करेले की कीमतों में भी जबरदस्त उछाल है। बारिश के मौसम में इन सब्जियों की फसल को नुकसान पहुंचता है, जिससे उनकी कीमतें बढ़ जाती हैं। इसके अलावा, बाजार में इन सब्जियों की मांग बढ़ने के कारण भी कीमतों में वृद्धि होती है।
कृषि विशेषज्ञों की राय
राकेश सिंह का विश्लेषण
कृषि अर्थशास्त्री राकेश सिंह के अनुसार, "सब्जियों में खास तौर पर टमाटर, आलू और प्याज के लिए सरकार ने ऑपरेशन ग्रीन योजना शुरू की थी। इसका मकसद दामों में उतार-चढ़ाव को कम करना था, लेकिन इसका पूरा असर अभी तक नहीं दिख रहा है। ट्रांसपोर्टेशन और स्टोरेज इन्फ्रास्ट्रक्चर को और सुदृढ़ करने की जरूरत है।"
उन्होंने यह भी कहा, "अत्यधिक गर्मी और बारिश की वजह से उत्पादन पर असर पड़ता है। पूरी सप्लाई चेन में इनएफिशिएंसी है, जिससे दाम बढ़ रहे हैं। इसका पूरा लाभ किसानों को नहीं मिल रहा है, बल्कि बिचौलिए इसका फायदा उठा रहे हैं।"
आपूर्ति व्यवस्था की कमी
राकेश सिंह ने यह भी बताया कि, "नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट शुरू किया गया था, लेकिन इसका पूरा प्रभाव सामने नहीं आया है। सब्जी के क्षेत्र में सप्लाई चेन इनएफिशिएंसी को कम करने की जरूरत है। सब्जियों के दाम बढ़ने के पीछे 30 प्रतिशत कारण उत्पादन में कमी है और 70 प्रतिशत कारण सप्लाई चेन में इनएफिशिएंसी है।"
महंगाई से निपटने के उपाय
महंगाई से निपटने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:
- उत्पादन में सुधार: उन्नत कृषि तकनीकों और जलवायु अनुकूल फसलों का उपयोग करके उत्पादन को बढ़ावा देना।
- परिवहन व्यवस्था का सुधार: सड़कों और परिवहन साधनों की गुणवत्ता में सुधार करना।
- जमाखोरी पर नियंत्रण: जमाखोरी और मुनाफाखोरी पर सख्त नियंत्रण रखना।
- सप्लाई चेन की सुधार: नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट और अन्य योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करना।
महंगाई का सीधा असर आम आदमी पर पड़ता है। सब्जियों की कीमतों में वृद्धि से परिवारों का बजट बिगड़ रहा है और लोगों को रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने में मुश्किल हो रही है। इस समस्या से निपटने के लिए सरकार और संबंधित विभागों को ठोस कदम उठाने की जरूरत है।