खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने वित्त वर्ष 2023-24 में 15.7 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि के साथ 1.55 लाख करोड़ रुपये की बिक्री हासिल की है। इस दौरान ग्रामीण इलाकों में 10.17 लाख नए रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं। सरकार की ओर से जारी किए गए आधिकारिक आंकड़ों से यह जानकारी मिली है।
मोदी सरकार में खादी और ग्रामीण इंडस्ट्री के उत्पादों की ब्रिकी पांच गुना बढ़ी
केवीआईसी के चेयरमैन मनोज कुमार ने बताया कि पिछले 10 वर्षों के मोदी सरकार के कार्यकाल में खादी और ग्रामीण इंडस्ट्री के उत्पादों की ब्रिकी पांच गुना बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 1,55,673.12 करोड़ रुपये हो गई है, जो कि 2013-14 में 31,154.2 करोड़ रुपये थी। यह वृद्धि दर्शाती है कि खादी और ग्रामोद्योग में निवेश और प्रोत्साहन से किस प्रकार भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान हो रहा है।
खादी और ग्रामोद्योग के उत्पादन में वृद्धि
मनोज कुमार ने आगे बताया कि वित्त वर्ष 2013-14 के मुकाबले वित्त वर्ष 2023-24 में बिक्री में 400 प्रतिशत, उत्पादन में 314.79 प्रतिशत, और नए रोजगार सृजन में 80.96 प्रतिशत का उछाल दर्ज किया गया है। यह आंकड़े खादी और ग्रामोद्योग की प्रगति को दर्शाते हैं और यह भी स्पष्ट करते हैं कि केवीआईसी का यह योगदान भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और 2047 में एक विकसित भारत बनाने में अहम भूमिका निभाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा खादी उत्पादों को बढ़ावा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा खादी को बढ़ावा दिए जाने से लोगों का खादी उत्पादों पर विश्वास बढ़ा है। आज के समय में खादी भारतीय युवाओं के बीच एक नई स्टेटस सिंबल के रूप में उभरा है। खादी और ग्रामीण इंडस्ट्री के उत्पादों की मांग बाजार में तेजी से बढ़ रही है, जिसका सकारात्मक प्रभाव केवीआईसी के प्रदर्शन पर भी दिख रहा है।
पिछले 10 वर्षों में खादी कपड़े के उत्पादन में 295% की वृद्धि
पिछले 10 वर्षों में खादी और ग्राम उद्योग के प्रोडक्शन को बढ़ाने के लिए कई बड़े फैसले लिए गए हैं, जिसके सकारात्मक परिणाम मिलने लगे हैं। 'मेक इन इंडिया' और 'वोकल फॉर लोकल' जैसे अभियानों से स्वदेशी उत्पादों पर लोगों का विश्वास बढ़ा है। पिछले 10 वर्षों में खादी कपड़े के उत्पादन में अप्रत्याशित 295 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
खादी कपड़े की बिक्री और उत्पादन
वित्त वर्ष 2013-14 में खादी कपड़े का उत्पादन 811.08 करोड़ रुपये था, जो कि वित्त वर्ष 2023-24 में बढ़कर 3,206 करोड़ रुपये हो गया है। वित्त वर्ष 2022-23 में खादी कपड़े का उत्पादन 2,915 करोड़ रुपये था। खादी कपड़े की मांग में भी इस दौरान उछाल देखने को मिला है। वित्त वर्ष 2013-14 में खादी कपड़े की बिक्री 1,081.04 करोड़ रुपये पर थी, जो कि 2023-24 में बढ़कर 6,496 करोड़ रुपये हो गई है। इस दौरान बिक्री में 500 प्रतिशत का इजाफा देखने को मिला है।
वित्त वर्ष 2022-23 में 5,942 करोड़ रुपये के खादी कपड़े की बिक्री
वित्त वर्ष 2022-23 में 5,942 करोड़ रुपये के खादी कपड़े की बिक्री हुई थी। केवीआईसी, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय के तहत आता है और इसका उद्देश्य ग्रामीण इलाकों में अधिकतम रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना है।
खादी और ग्रामोद्योग के प्रभावशाली परिणाम
इन आंकड़ों और उपलब्धियों से स्पष्ट है कि खादी और ग्रामोद्योग ने भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। खादी के उत्पादों की बढ़ती मांग और ग्रामीण इलाकों में नए रोजगार के अवसरों ने यह सिद्ध कर दिया है कि खादी और ग्रामोद्योग एक मजबूत और सशक्त भारत के निर्माण में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
स्वदेशी उत्पादों का महत्व
खादी और ग्रामोद्योग की इस वृद्धि से स्पष्ट है कि स्वदेशी उत्पादों का महत्व आज के समय में और भी बढ़ गया है। 'मेक इन इंडिया' और 'वोकल फॉर लोकल' जैसे अभियानों ने स्वदेशी उत्पादों की ओर जनता का ध्यान आकर्षित किया है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है। खादी कपड़े की मांग और उत्पादन में अप्रत्याशित वृद्धि से यह साबित होता है कि भारतीय लोग अब अपने स्वदेशी उत्पादों को अधिक महत्व देने लगे हैं।खादी ग्रामोद्योग का भविष्य
खादी और ग्रामोद्योग आयोग की ये उपलब्धियां भविष्य में और भी बेहतर परिणाम देने का संकेत देती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से खादी को बढ़ावा दिए जाने से लोगों का खादी उत्पादों पर विश्वास बढ़ा है और यह खादी ग्रामोद्योग के भविष्य के लिए एक सकारात्मक संकेत है। इस प्रकार, खादी और ग्रामोद्योग आयोग न केवल आर्थिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।